Saturday, February 3, 2007

मोला अब्बड़ मजा आइच रे

मोला अब्बड़ मजा आइच रे
चल रे संगी, चल रे मितान,
चलव रे सुखरी गांव।
ओर गांव म कोनो निरक्षर नइये,
नइये अंगूठा निशान।
ओ गांव के ममादाई कहिस
अब मंय पढ़े लिखे जान डारेंव
मोर अज्ञान के अंधइयार मिटागे,
मोर ज्ञान के जोत ह बर गे।
मोर सुरता म बेरा बेरा आवय रे,
मंय गोदरी भीतर मुचमुचाएंव रे,
मंय बड़ भिनसार अक्षर जोत सपनाएंव रे
मोला अब्बड़ मजा आइस रे, मोला बड़ नीक लागिस रे।
मोर आंखी ले आंसू आइस रे,
मोला अब्बड़ मजा आइस रे । मोला......
जउन रात म मंय ह सिलेट म
मकान लिखे पढ़े बर जानेंव रे,
मोला अब्बड़ मजा आइस रे । मोला......
बिहान भर मंय सब मुटियारी
मन ल जोरेंव अउ लिख पढ़ के बाताएंव रे
मंय हीरोईन बनगे रहेंव रे।
मोला अब्बड़ मजा आइस रे । मोला......
मंय तीनों प्रवेशिका ल तीन महीना म
लिख पढ़ डारेंव रे।
मोला अब्बड़ मजा आइस रे । मोला......
मोला अब्बर नीक लागिस रे।
मोर संग म मोर नोनी
अउ ओकर भउजी ल लेगेंव
उमन ल म मकान लिखे बर सिखायेंव रे,
मोला अब्बड़ मजा आइस रे । मोला......
उमन ल अब्बड़ नीक लागिस रे।
अब मंय नवसाक्षर बनगे हंव
जय साक्षर के नारा,
मोला कलेक्टर साहब ह मोला सुघ्घर
माला पहिराइस रे।
अउ नव साक्षर के
परमान पत्तर दिहीस रे।
मोर जिनगी के पार लगाइस रे,
मंय नरक जाये ले बाचेंव रे,
मोला अब्बड़ मजा आइस रे।
मोला अब्बड़ नीक लागिस रे।

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