Saturday, February 3, 2007

पढ़व ग



मोर संग पढ़व ग,
मोर संग चलव ग।
ऐ गिरे पड़े मनखे मन
किसान, मजदूर, टूरा, टूरी मन ।
दाई, ददा, भाई, भौजाई, मन,
मोर संग पढ़व ग ।
मोर संग चलव ग ।
गाँव गाँव म स्कूल खुलगे
अउ खुलगे साक्षरता ।
औपचारिक शिक्षा के केन्द्र ।
बड़े, छोटे टूरा, टूरी सब झन पढ़व,
भगावव अज्ञान के ढेर ल ।
अज्ञान ह सब चीज के जड़ हे,
ज्ञान शिक्षा ले जीवन सुधारव तभे,
होही उद्धार रे ।
मोर संग पढ़व ग ।
मोर संग चलव ग ।

No comments: