Saturday, February 3, 2007

काकर संग होरी खेलँव


(1)

मोर मन म नइ हे हुलास,
काकर संग होरी खेलंव,
मोर मन हावय उदास,
काकर संग होरी खेलंव ।

(2)

ए बछर तो करिया बादर
घेरी बेरी बरसत हे,
खेती खार अउ फसल ल
पानी में सरोवत हे
कोठी म एक दाना नइये
लइका पिचका टेटकत हें
मोर मन म नइ हे हुलास,
काकर संग होरी खेलंव ।

(3)

ए बछर तो आमा मउरे नइये
टेसू लाल रंग म झूमे नइये
गेहूं सरसों फूले नइये
नइ आये हे मधुमास
मोर मन म नइ हे उछांव
काकर संग होरी खेलंव ।

(4)

करिया बादर बरजे नइ मानत हे
करा पथरा बरसात हे
रंग बिरंगी होरी आइस
रंग भंग म जमात हे
सब रंग ल एक करके
मनखे ल तरसात हे
मोर मन म नइ हे हुलास,
नइ आये हे मधुमास
काकर संग होरी खेलंव ।

(5)

रंग पिचकारी अबीर गुलाल
सबके दाम असमान छूवत हे
सोंहारी बरा पपची गुझिया नोहर होगे
खेती खार कोठी सुन्ना हे
टेसू म आये बहार
नइ आये हे मधुमास
मोर मन हावय उदास
मोर मन म नइ हे हुलास,
काकर संग होरी खेलंव ।

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