Saturday, February 3, 2007

तरिया के पार



तरिया के पार म
सुघ्घर आम पीपल के छांव हे ।
छोरा छोरी मस्ती करय
अमराई के जूड़ छाँव म ।
तरिया के पचरी घाट म
उछल कूद के नहावय तरिया के कमल फूल
कमल कस काया लावय ।
टूरा टूरी पानी म खेल
खेलय डुबकी लगा के भागय ।
जवान मोटियारि टूरा टूरी एक
दूसर ल छुवय अउ पियार करय ।
कमल फूल के पोखरा देके
अपन पियार ल जतावय ।
गोरी के भीगे बदन देख के
राहगीर रुक जावय ।
छोरी लंहगा साड़ी बदलत
जावय अपन डगरिया ।
पचरी घाट ह सखी
सहेली के मिलन स्थान हे ।
परेमी अउ परेमिका के
मिलन स्थान घाट हे ।
सखी मोटियारी टूरी
हँसी ठिठली करंय ।
अपन सुख-दुःख के बात
बतियावय, लेवय मटक के नाव ।
काकर बहू संदर हावय
अउ काकर बच्चा होवअया हे
काकर सुन्दर मरद बने हावय
एक घाट म गाँव भर के खबर
देवय डोकरी दाई ह ।
आमा-अमली देवय
गर्भवती माता बहिनी ल ।
कोई तकलीफ नई होवय
बच्चा जनम होये म
सब ला ढाढस बांधय
घाट म डोकरी दाई ।

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