Saturday, February 3, 2007

बिजली आफिस के चक्कर



अपन कुरिया म बिजली के
कनेक्शन लेय बर आवेदन करेंव ।
बिजली आफिस के घेरी बेरी के
चक्कर लगाएंव ।
दर बीस चक्कर लगावत लगावत
एत दिन आफइस के दरवाजा
के पास चक्कर खा के गिर गेंव ।
चपरासी पानी छिंच के उठाइस ।
बोलिस तोर का काम हे ?
तोर काम ल चुटकी म कर देहौं ।
मंय मने मन सोचेंव गुनेंव ।
तंय ह भगवान बन के आये हावस ।
कतका लगही अउ काय करे बर परही ?
ओकर में छा ह ठढ़ियागे ।
बोलिस पांच सौ रुपिया साहब के
अउ मोला अलग पचार देबे ।
ओकर गोठ ल सुनके
पसीना छूटगे
चपरासी ह लालच म
पानी अउ चाय घलो पिलाईस ।
मंय हेंव मोर पास
छेदा पइसा नई हे ।
कहिस पइसा लेके आबे त
तोर काम ल मिनटों म करा दुहूं ।
नई तो चक्कर खा खा के
बिजली आफइस म गिरत रहिबे ।
जमराज के घर म बिजली के
बल्ब जइसे टिमटिमावत रहिबे ।
मंय कहेंव काल पइसा लेके आहंव ।
जय राम जी ।
नइ तो अपन संग म
नगर निगम के एन. ओ. सी. लेत आबे ।
मंय घर के बर्तन भाड़ा ल
गिरवी धर के पांच सौ रुपिया सकेलेंव ।
दूसर दिन ओकर गोड़ म जा के गिरेंव ।
फूल ल गोड़ म चढ़ा देंव ।
चपरासी ह लकर धकर रुपिया ल घरिस
अउ कहिस
के मंय बड़े बाबू से मिल के आवत हंव ।
बडे बाबू कहिस, कहि देबे
तोर घर म काल बिजली लग जाही ।
ए कागद म अंगूठा लगा दे,
एक कोरी कागद के छाप लगवाईस ।
मोर जीव ह हाय के होईस ।
दूसर दिन
मोर कुरिया म बिजली कनेक्शन लगगे ।
मंय ओ चपरासी ल
भगवान के दूसर रुप जानेंव ।
मोर कुरिया म बलब ह जलत हावय ।
नइ तो अंधियार म नाक रगड़त रहितेंव ।

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