Saturday, February 3, 2007

दू आखर


हिन्दी म सोंच के छत्तीसगढ़ म कविता लिखई बड़ कठिन काम हे । जब तक छत्तीसगढ़ ह राजभासा नई बनही तब तक ओकर विकास नइ होवय, ये ह मोर मत हवय । छत्तीसगढ़ी ह समृद्ध भाखा बने के लायक हे । छत्तीसगढ़ी-सब्दकोस अउ कविता, गीत, लघुकथा, कहिनी, लोकगाथा, उपन्यास, निबंध, रमायेन, महाभारत सही सब्बे विसय में साहित्य मिल जाही, फेर भाखा बनाये म का देरी हे ? कमी हे त सिरफ बिसवास के । हमन ल ढाढस बाँध के लिखे बर परही ।

“मोंगरा के फूल” छत्तीसगढ़ भाखा के रुप म मोर पहिली काव्य-संग्रह आय । अइसे तोर मोर सात ठन किताब छप के आगे हे, ये ह आठवाँ आय । सतनाम के अनुयायी “सतनाम की दार्शनिक पृष्ठभूमि” ग्रंथ-काव्य संग्रह (हिन्दी), बबूल की छाँव (कहानी-संग्रह), मितान (छत्तीसगढ़ी), नगमत (हिन्दी), ‘उढ़रिया’ उपन्यास (छत्तीसगढ़ी), पछतावा (हिन्दी) । छत्तीसगढ़ी भाखा ल पोठ करे के प्रयास हे ।

प्राचीन काल म मल्हार के माटी के सौंधी महक संसार म फइले रहीस । माता डिडनेश्वरी के असीम किरपा हावय । दूबराज धान के गमक अउ राहर, तिवरा-भाजी, पताल-मिरचा के चटनी, बसी खाय म बड़ मजा आथे । सत के रद्दा सदमार्ग के संत गुरु घासीदास जी के ग्यान के मारग म चले विसय वस्तु बने हें । ‘छत्तीसगढ़ दरसन’ कविता म पुरा छत्तीसगढ़ के बरनन हावय । डोंगरगढ़ के बमलेश्वरी देवी, बादर-देवता, बिदाई, खोरपा म गजरा, मोंगरा के फूल, गाँव के बात, दलितों के मसीहा, गिरौदपुरी मेला देएखा देना, पंथी-गीत, मंगल-गीत, सुसका भाजी अउ दार, पुन्नी के चंदा, राउत बजार, बसंत पंचमी आगे अउ कई ठन हावय । भूमिका लेखन के कारज छत्तीसगढ़ के महान विद्वान युग पुरुस प्रो.डॉ विनय कुमार पाठक, निर्देशक, प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर द्वारा करे अउ महत्तव बढ़ गे हे । मय सत-सत नमन करत हंव अउ अभार मानत हंव । छत्तीसगढ़ के विद्वान मन ले आसीस के अपेक्षा हे । “मोंगरा के फूल” छत्तीसगढ़ के माटी ल महर महर महकाये हे, पाठक मन ले सुझाव आमंत्रित हे । कविता संग्रह के परकासन बर वैभव प्रकासन रायपुर के सुधीर शर्मा के अभार मानत हंव । अऊ जयप्रकाश मानस के उदिम ला घलोक मंय हर परनाम करना चाहत हंव जेखर कारन येही किताब ह इंटरनेट मं दुनिया के छत्तीसगढ़ी पाठक मन बर पहुँच गेहे ।

0डॉ.जे.आर. सोनी

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