Saturday, February 3, 2007

गाँव के बात



भूल गयेंव मंय गांव के
ठंडी, जुड़, छांव ल ।
अमराई के मीठे खट्टे
आम ल ।
आम, अमरुद, सीताफल
अउ वर पीपर के छांव ल ।
भूल गयेंव मंय
तलाब म उछल कूद नहाय ल,
कमल फूल अउ कांदा,
खा के मताय रहेन गांव म ।
गिल्ली, डण्डा अउ पचरंगा
सातुल,गेड़ी नाचय गांव म ।
सुवा, ददरिया, करमा
पंथी, पंडवानी होवय मोर गांव म ।
हरेली, तीजा, पोरा,
दशहरा, दीपावली, पीतर पूजय गांव म ।
तपुस पुन्नी म नाचय डण्डा,
होली म बाजय नगाड़ा गांव म ।
दूबराज के भात अउ,
राहर के दाल, धी खाय म,
मजा आवय गांव म ।
भूख गरीबी कांदा कीचड़
म माते हावय गांव म,
बिजली नइये, दिया
टिमटिमात, जुगनू बरत गांव म ।
पढ़े बर पाठशाला स्कूल नइये
चले बर सड़क नइये गांव म ।
खेती किसानी के अलावा,
उद्योग धंधा नइये गांव म ।
खेती किसानी के अलावा,
उद्योग धंधा नइये गांव म ।
भूल गएंव मंय
बर पीपल के ठंडी जुड़ छांव ल ।
बूढी़ दाई के सुक्सा भाजी
दार अउ मिरचा चटनी अमचूर अचार ल
गांव म दल के दल बरदी आवय
उड़य धूल संझाती गांव म।
किस्सा कहानी नाचा गम्मत
रास लीला, आल्हा गांव म
भूल गयेंव गांव मंय।
कका-काकी, भाई-भौजाई
बबा-बूढ़ीदाई के दुलार मनुहार ल ।
गांव ले आके
भूल गयेंव मन के दुख,
गरीबी, भुखमरी, मानव के कल्याण ल ।

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