Saturday, February 3, 2007
बादर देवता
हे बादर देवता
बने बरिस ।
सिटिर पिटिर झन बरिस,
बने हदहदा के बरिस,
जेमा खेत खार
तलाब, नदी-नरवा ह भह जाय।
अकरस खेत ल,
जोते बोये लागय।
नागर तुतारी धर के
चल रे बइला अर्र-अर्र।
करिया बादर देख के
किसान मजदूर गावै ददरिया,
झूमय, नाचय,खुमरी, छाता, पगड़ी ओढ़े।
अंगाकर रोटी खावंय।
कमरा ओढ़े, मनकप्पड़।
हे बादर देवता
बने बरिस।
सिटिर पिटिर झन बरिस,
बने हदहदा के बरिस
किसान मजदूर के छितका कुरिया
म बरिस।
खेत-खार तलाब म बरिस।
बारिस के पहिली फुहार ले,
तम-मन ठंडा हो जाय ।
धरती अउ शरीर के
अग्नि ह जुड़ा जाय ।
हे बादर देवता
बने बरिस।
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